Why Is It Important to Understand the Quran? जानिए (Hindi Guide)

क़ुरान, जो अल्लाह ने अपने आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद ﷺ पर नाज़िल किया, आज भी वैसे ही महफ़ूज़ है जैसे 1400 साल पहले था। यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि इंसानियत के लिए हिदायत और रौशनी का ज़रिया है। हर मुसलमान पर क़ुरान को पढ़ना और समझना फ़र्ज़ है, लेकिन अक्सर लोग इसे सिर्फ़ अरबी में पढ़कर छोड़ देते हैं, जबकि असली मक़सद इसे समझकर अपनी ज़िंदगी को सही दिशा देना है। रमज़ान में तो लोग वक़्त निकालकर इसे पढ़ते हैं, लेकिन क्या क़ुरान को समझना (Understanding the Quran) वाकई ज़रूरी नहीं है?

इस आर्टिकल में हम सही दलीलों की मदद से जानेंगे कि क़ुरान को समझना क्यों ज़रूरी है(Why is it important to Understand the Quran) और इसे समझने के लिए कौन-कौन से तरीके(Easy ways to Understand the Quran) अपनाए जा सकते हैं।

Why Is It Important to Understand the Quran? जानिए (Hindi Guide)
Why Is It Important to Understand the Quran? जानिए (Hindi Guide) 

{tocify} $title={Table of Contents}

Why Is It Important to Understand the Quran? | क़ुरान को समझना क्यों ज़रूरी है?

जैसा कि हमने बताया, क़ुरान को सिर्फ़ पढ़ना ही नहीं, बल्कि उसे समझना भी हर मुसलमान के लिए बेहद ज़रूरी है। यह हिदायत और रौशनी का सबसे बेहतरीन ज़रिया है। लेकिन क्या क़ुरान खुद यह कहता है कि हमें इसे समझना चाहिए?

Must Read: इस्तिखारा क्या है? और हर ज़रूरी काम से पहले उसे क्यों करें?

हाँ, क़ुरान में कई ऐसी आयतें हैं जो इंसान को सोचने, समझने और सीखने की दावत देती हैं। अल्लाह ने क़ुरान में बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि इसे सिर्फ़ तिलावत के लिए नहीं, बल्कि समझने और अमल करने के लिए नाज़िल किया गया है। आइए, देखते हैं कि क़ुरान में इस बारे में क्या कहा गया है।

What Does the Quran Say About Understanding It? | क़ुरान को समझने के बारे में क़ुरान क्या कहता है?

क़ुरान में लगभग 6,236 आयतें हैं जो मुख़्तलिफ़ चीज़ो के बारे में बात करती हैं और उनके रिगार्डिंग हिदायत देतीं हैं, इसमें ऐसे कई आयतें हैं जो सोचने, समझने और सीखने के कॉन्टेक्स्ट में हैं। हम सिर्फ उन आयतों की बात करेंगे जो इस बात पर रौशनी डालती हैं कि क़ुरान को समझ कर(Understand of Quran) पढ़ना क्यों ज़रूरी और इसकी हिदायत को अपनाने का महत्व (Importance of Understanding the Quran) क्या है। 

#1. Surah Saad 29

كِتٰبٌ اَنۡزَلۡنٰهُ اِلَيۡكَ مُبٰرَكٌ لِّيَدَّبَّرُوۡۤا اٰيٰتِهٖ وَلِيَتَذَكَّرَ اُولُوا الۡاَلۡبَابِ‏

यह (क़ुरआन) एक पुस्तक है, हमने इसे आपकी ओर उतारा है, बहुत बरकत वाली है, ताकि वे इसकी आयतों पर विचार करें, और ताकि बुद्धि वाले लोग (इससे) उपदेश ग्रहण करें।

#2. Surah Al-Qamar 17, 32 और 40 

وَلَقَدۡ يَسَّرۡنَا الۡقُرۡاٰنَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِنۡ مُّدَّكِرٍ‏ 

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को नसीहत हासिल करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?

 #3. Surah An-Nisa 82 

اَفَلَا يَتَدَبَّرُوۡنَ الۡقُرۡاٰنَ​ؕ وَلَوۡ كَانَ مِنۡ عِنۡدِ غَيۡرِ اللّٰهِ لَوَجَدُوۡا فِيۡهِ اخۡتِلَافًا كَثِيۡرًا‏

क्या ये लोग क़ुरान में तदब्बुर नहीं करते? अगर यह अल्लाह के सिवा किसी और की तरफ़ से होता, तो इसमें बहुत सा इख़्तिलाफ़ (अंतर) पाते।

#4. Surah Mohammad 24

اَفَلَا يَتَدَبَّرُوۡنَ الۡقُرۡاٰنَ اَمۡ عَلٰى قُلُوۡبٍ اَ قۡفَالُهَا‏ 

तो क्या वे क़ुरआन में सोच-विचार नहीं करते या उनके दिलों पर ताले लगे हैं?

#5. Surah An-Nahal 89

وَيَوۡمَ نَـبۡعَثُ فِىۡ كُلِّ اُمَّةٍ شَهِيۡدًا عَلَيۡهِمۡ مِّنۡ اَنۡفُسِهِمۡ​ وَجِئۡنَا بِكَ شَهِيۡدًا عَلٰى هٰٓؤُلَاۤءِ ​ؕ وَنَزَّلۡنَا عَلَيۡكَ الۡـكِتٰبَ تِبۡيَانًا لِّـكُلِّ شَىۡءٍ وَّ هُدًى وَّرَحۡمَةً وَّبُشۡرٰى لِلۡمُسۡلِمِيۡنَ

और जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में उनपर उन्हीं में से एक गवाह खड़ा करेंगे। और आपको इन लोगों पर गवाह बनाकर लाएँगे। और हमने आप पर यह पुस्तक (क़ुरआन) नाज़िल की, जो प्रत्येक विषय का स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन और दया और आज्ञाकारियों के लिए शुभ सूचना है।

#6. Surah An-Nahal 44 

بِالۡبَيِّنٰتِ وَالزُّبُرِ​ؕ وَاَنۡزَلۡنَاۤ اِلَيۡكَ الذِّكۡرَ لِتُبَيِّنَ لِلنَّاسِ مَا نُزِّلَ اِلَيۡهِمۡ وَلَعَلَّهُمۡ يَتَفَكَّرُوۡنَ‏

(उन्हें) स्पष्ट प्रमाणों तथा पुस्तकों के साथ (भेजा)। और हमने आपकी ओर यह शिक्षा (क़ुरआन) उतारी, ताकि आप लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान कर दें, जो कुछ उनकी ओर उतारा गया है और ताकि वे सोच-विचार करें।

#7. Surah Ambiya 10

لَقَدۡ اَنۡزَلۡنَاۤ اِلَيۡكُمۡ كِتٰبًا فِيۡهِ ذِكۡرُكُمۡ​ؕ اَفَلَا تَعۡقِلُوۡنَ 

निःसंदेह हमने तुम्हारी ओर एक किताब (क़ुरआन) उतारी है, जिसमें तुम्हारा सम्मान है। तो क्या तुम नहीं समझते?

Why was the Quran revealed in Arabic? | कुरान अरबी ज़बान में क्यों नाज़िल हुआ?

अरबी ज़बान की अहमियत के बारे में हमने पहले बात की है अब जानते हैं अल्लाह ने क़ुरान को अरबी में ही क्यों नाज़िल किया, इसका मुख्य मक़सद यह था कि लोग क़ुरान को समझ सकें जिसे यह आयतें समझाती हैं। 

Must Read: Best Book for Seerat-un-Nabi

#6. Surah Yusuf 02 और Surah Ar-Zukhruf 3

اِنَّاۤ اَنۡزَلۡنٰهُ قُرۡءٰنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُوۡنَ‏

निःसंदेह हमने इस क़ुरआन को अरबी में उतारा है, ताकि तुम समझो।

#7. Surah Taha 113 

وَكَذٰلِكَ اَنۡزَلۡنٰهُ قُرۡاٰنًا عَرَبِيًّا وَّ صَرَّفۡنَا فِيۡهِ مِنَ الۡوَعِيۡدِ لَعَلَّهُمۡ يَتَّقُوۡنَ اَوۡ يُحۡدِثُ لَهُمۡ ذِكۡرًا‏

और इसी तरह हमने इसे अरबी क़ुरान के रूप में उतारा और इसमें अलग-अलग अंदाज़ में चेतावनी दी, ताकि वे अल्लाह से डरें या यह (क़ुरान) उन्हें कुछ सीखने का सबब बने। 

#8. Surah Fussilat 44

وَلَوۡ جَعَلۡنٰهُ قُرۡاٰنًا اَعۡجَمِيًّا لَّقَالُوۡا لَوۡلَا فُصِّلَتۡ اٰيٰتُهٗ ؕ ءَؔاَعۡجَمِىٌّ وَّعَرَبِىٌّ​  ؕ قُلۡ هُوَ لِلَّذِيۡنَ اٰمَنُوۡا هُدًى وَشِفَآءٌ​  ؕ وَ الَّذِيۡنَ لَا يُؤۡمِنُوۡنَ فِىۡۤ اٰذَانِهِمۡ وَقۡرٌ وَّهُوَ عَلَيۡهِمۡ عَمًى​ ؕ اُولٰٓٮِٕكَ يُنَادَوۡنَ مِنۡ مَّكَانٍۢ بَعِيۡدٍ‏

और यदि हम इसे ग़ैर अरबी क़ुरआन बनाते, तो वे अवश्य कहते कि इसकी आयतें क्यों नहीं खोलकर बयान की गईं? क्या (पुस्तक) ग़ैर अरबी है और (नबी) अरबी? आप कह दीजिए : वह उन लोगों के लिए जो ईमान लाए,रहनुमाई और आरोग्य है, तथा जो लोग ईमान नहीं लाते, उनके कानों में बोझ है और यह उनके हक़ में अंधेपन का कारण है। वे लोग ऐसे हैं जो दूर स्थान से पुकारे जा रहे हैं।

ऊपर दिए दलीलों से साबित होता है कि क़ुरान को समझ कर पढ़ना ज़रूरी है, It is proven that Quran should be read with understanding.

इसके बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि एक बेगिनर के तौर क़ुरान को कैसे समझे(Understanding the Quran for beginners), यहाँ इसे समझने के लिए कुछ आसान तरीके(Easy way to understand the Quran) बताएं गए हैं। 

Best and easy ways to understand the Quran | कुरान को समझने के सबसे बेहतरीन और आसान तरीके

1. कुरआन का अनुवाद (Translation) पढ़ें

  • सबसे पहले अपनी मादरीज़बान में कुरआन का तर्जुमा पढ़ें, ताकि आपको यह समझ में आ सके कि अल्लाह हमसे क्या कहना चाहते हैं।
  • हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी और दीगर ज़बानो में ऑथेंटिक तर्जुमा मौजूद हैं।
  • मौलाना अबुल आला मौदूदी, मुफ्ती तक़ी उस्मानी और अन्य उलमा के तर्जुमे को पढ़ सकते हैं।

2. तफ़सीर (व्याख्या) से मदद लें

  • अनुवाद पढ़ने के साथ-साथ किसी अच्छी तफ़सीर (Commentary) को भी पढ़ें।
  • तफ़सीर से आयतों का गहरा मतलब और उनके कॉन्टेक्स्ट को समझने में मदद मिलती है।
  • Tafseer Ibn Kathir, Bayan-ul Quran(Dr. Israr Ahmad), और Aasan Quran (Mufti Taqi Usmani) ये अच्छी किताबें हैं।

3. छोटे-छोटे हिस्सों में कुरआन को पढ़ें और समझें

  • एक साथ बहुत ज्यादा पढ़ने की बजाय, थोड़ा-थोड़ा पढ़ें और समझें।
  • हर दिन 5-10 आयतें पढ़ें और उन पर तदब्बुर(सोच विचार) करें।

4. अरबी भाषा की मूल बातें सीखें

  • अरबी भाषा की बुनियादी समझ होने से कुरआन का सही अर्थ समझने में आसानी होती है।
  • रोज़मर्रा की इस्तेमाल होने वाली अरबी के शब्द और उनके मायने याद करें।
  • ऑनलाइन अरबी ग्रामर कोर्स जॉइन करें।

5. वीडियो लेक्चर और ऑनलाइन कोर्स का सहारा लें

  • यूट्यूब और दीगर प्लेटफ़ॉर्म पर कुरआन समझाने वाले लेक्चर्स मौजूद हैं।
  • इस्लामिक विद्वानों जैसे Nouman Ali Khan, Dr. Israr Ahmed, Mufti Tariq Masood  आदि के लेक्चर सुनें।
  • मुफ़्त ऑनलाइन कोर्स जैसे Bayyinah TV, और Coursera आदि का फायदा उठाएं।

6. अमल (प्रैक्टिकल एप्लिकेशन) करें

  • जो कुछ भी आप कुरआन से सीखें, उसे अपनी जिंदगी में लागू करें।
  • कुरआन में दी गई शिक्षा के अनुसार अपनी आदतों को बदलें।

7. दुआ करें और अल्लाह से मदद मांगें

  • कुरआन को समझने के लिए अल्लाह से सच्चे दिल से दुआ करें।
  • अल्लाह से हमेशा मार्गदर्शन मांगते रहें, क्योंकि वही दिलों को रौशनी देता है।

8. ऑनलाइन सोर्सेस का सहारा लें

  • Quran.com
  • Islam 360 
  • Islam One जैसे ऑनलाइन ऐप और वेबसाइट पर सभी तरह के तर्जुमे और तफ़सीर फ्री में मौजूद हैं।

Is Arabic necessary to understand the Quran? | क्या कुरआन को समझने के लिए अरबी ज़रूरी है?

इसका जवाब हां और ना दोनों में दिया जा सकता है, क़ुरान चूँकि अरबी में नाज़िल हुआ था जिसके वजह से इसके तर्जुमे में कई बार अनिश्चिता (Uncertanity) आ जाती है, इसलिए अगर आप बेहतरीन तरीके से क़ुरान सीखना और समझना चाहते हैं तो मैं यही सलाह दूंगा की तफ़्सीर और तर्जुमा पढ़ने के बाद अरबी भाषा सीखने(Learn Arabic to understand the Quran) की कोशिश करें। इससे क्या फायदा होगा इसे मैंने नीचे दिए पोस्ट में समझाया है। 

Must read : Importance Of Arabi

अरबी सीखने के free और paid दोनों तरीके के कोर्सेज ऑनलाइन मौजूद हैं, Bayyinah TV(Nouman Ali Khan), paid कोर्स के तौर पर अच्छा है जबकि Mufti Tariq Masood का कोर्स यूट्यूब पर फ्री में मौजूद हैं। 

Do's & Don't

  • कभी भी ये न समझे की आप खुद से 100 % क़ुरान को समझ सकते हैं कुछ आयतें ऐसी होती हैं जिनके कई मतलब होते हैं, ऐसे कंडीशन में हमेशा उलमा कराम की सलाह लें अथवा अपनी तफ़्सीर की किताब में उसके बारे में पढ़े। 
  • हिंदी कुरान को इस नियत से पढ़े की आपको उससे हिदायत चाहिए, जैसा कि अल्लाह सूरह बक़रह की पहली आयत में फरमाता है।
  • क़ुरान को समझने के लिए सिर्फ तर्जुमा पढ़ना काफी नहीं है, आयतों की गहराई को समझने के लिए अरबी ज़रूर सीखें।
  • कभी भी खुद से किसी मसले का हल ना निकालें, जैसे की मैंने बताया हमेशा उलमा कराम से सलाह लें और तफ़्सीर की किताब पढ़े। 
  • कोई सवाल आने पर अलग अलग तफ़्सीर की किताबों का मुतालआ करें, ऊपर बताय गए तफ़्सीर की किताबों में Tafseer Ibn Kathir सबसे बेहतरीन है क्युकी इसमें हर आयत से मुताल्लिक़ हदीस दिए हैं जो आपको ऑथेंटिसिटी फराहम करायेगा, बाकी तफ़्सीर भी अच्छे हैं। 

FAQs: क़ुरान को समझकर पढ़ना क्यों ज़रूरी है?

1. क्या सिर्फ़ अरबी में क़ुरान पढ़ना काफ़ी है?

नहीं, क़ुरान को सिर्फ़ अरबी में पढ़ना पर्याप्त नहीं है। असली मक़सद इसे समझकर अपनी ज़िंदगी में लागू करना है। इसलिए तर्जुमा (अनुवाद) और तफ़सीर (व्याख्या) पढ़ना ज़रूरी है।

2. क़ुरान को समझने के लिए कौन-से सबसे अच्छे अनुवाद और तफ़सीर हैं?

कुछ बेहतरीन अनुवादों में मौलाना अबुल आला मौदूदी, और मुफ़्ती त़की उस्मानी के तर्जुमे शामिल हैं। तफ़सीर के लिए इब्न कसीर, बयानुल क़ुरान (डॉ. इसरार अहमद) और आसान क़ुरान (मुफ़्ती त़की उस्मानी) अच्छी किताबें हैं।

3. क्या क़ुरान को समझने के लिए अरबी सीखना ज़रूरी है?

अरबी सीखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इससे क़ुरान के असली मायने बेहतर ढंग से समझ में आते हैं। अगर संभव हो, तो अरबी भाषा सीखना फ़ायदेमंद रहेगा।

4. एक शुरुआती व्यक्ति (Beginner) क़ुरान को समझने की शुरुआत कैसे करे?

पहले अपनी भाषा में अनुवाद पढ़ें, फिर तफ़सीर से मदद लें। छोटे-छोटे हिस्सों में पढ़ें, उलमा के वीडियो लेक्चर देखें और रोज़ाना 5-10 आयतों पर तदब्बुर (गहराई से सोच) करें।

5. क़ुरान से मिली हिदायत को अमल में लाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

जो कुछ भी क़ुरान से सीखें, उसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपनाने की कोशिश करें। अपने व्यवहार, आदतों और फ़ैसलों को क़ुरान की शिक्षा के अनुसार ढालें।

faq end

Conclusion on Importance of Understand the Quran

क़ुरआन को समझकर पढ़ना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है, क्योंकि यही सच्ची हिदायत और रहमत का एकमात्र ज़रिया है। अल्लाह ने इसमें तदब्बुर (गहराई से सोचने) और तफक्कुर (समझने) की बार-बार दावत दी है, ताकि हम इसे सिर्फ़ तिलावत तक सीमित न रखें, बल्कि अपनी ज़िंदगी में लागू करें। अगर आप क़ुरआन को सही मायनों में समझना चाहते हैं, तो इसका तर्जुमा पढ़ें, तफ़सीर से मदद लें, अरबी भाषा सीखें(Learn arabic) और इस्लामिक उलमा कराम के व्याख्यानों (Lectures) और तफ़सीर का सहारा लें। साथ ही, सीखी हुई बातों पर अमल करना सबसे ज़रूरी है, क्योंकि यही क़ुरआन का असली मक़सद है।

उम्मीद हैं मेरा यह पोस्ट "Why Is It Important to Understand the Quran? जानिए (Hindi Guide)" आपके सवालो का जवाब दे पाया होगा, और ये भी आशा है की आपको मेरे बताए तरीके(Easy way to understand the Quran) से कुछ मदद हासिल हो। 

End Note By Author✍

इसमें बताई गई कुछ बातें मेरे अपने तजुर्बे की बुनियाद पर हैं, अगर आपको यहाँ बताया कोई भी पॉइंट सही नहीं लगता या फिर अधूरा लगता है तो बेझिझक मुझसे राब्ता करे। बात करने की जानकारी Contact Us पेज पर दी गई है। — जज़कल्लाह ख़ैर 

1 Comments

Drop Your Valuable Thought

  1. मुझे इसकी जानकारी नहीं थी कि अल्लाह ने कुरान को समझने पर इतना ज़ोर दिया है। Jazakallah khair!

    ReplyDelete
Previous Post Next Post