हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम इस्लाम के उन चुनिंदा और अहम पैग़म्बरों में से एक हैं जिनकी कहानी न सिर्फ दिल को छू लेने वाली है, बल्कि इंसान की रहनुमाई के लिए एक रौशनी का चिराग़ भी है। उनकी पूरी ज़िन्दगी सब्र, तवक्कुल और अल्लाह की रहमत का एक बेहतरीन नमूना है। बचपन में भाइयों की साजिश का शिकार होकर एक अजनबी कुएं में फेंके जाने से लेकर मिस्र की जेलों में क़ैद तक, और फिर वहीं से मिस्र के ताज और तख़्त तक का उनका सफर, इस बात की गवाही है कि जो शख्स अल्लाह पर पूरा भरोसा रखता है, अल्लाह उसे ऐसी जगह पहुँचाता है जहाँ तक किसी का गुमान भी नहीं होता।
इस लेख में हम हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम के उन चुनिंदा वाक़्यात पर नज़र डालेंगे जो सब्र, तवक्कुल और अल्लाह की रहमत का एक बेहतरीन नमूना है। जानेंगे कि की उनकी ज़िन्दगी से हमें क्या सीख लेनी चाहिए और वह कौन से हैं जो हमें करने चाहिए जिससे हमारा तवक्कुल बढे। तो शुरुआत करते हैं युसूफ(अ. स) की कहानी से।
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यूसुफ अलैहिस्सलाम की जिंदगी की एक तस्वीरे शक्ल |
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युसूफ(अ. स) की कहानी संछिप्त में | Story Of Yusuf(A.S) in Brief
युसूफ अलैहिस्सलाम इस्लाम के उन चुनिंदा और अहम पैग़म्बरों में से एक हैं जिनकी कहानी न सिर्फ दिल को छू लेने वाली है, बल्कि इंसान की रहनुमाई के लिए एक रौशनी का चिराग़ भी है। युसूफ अलैहिस्सलाम के पिता का नाम हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम है, उनके वालिद खुद एक पैग़म्बर थे।
याकूब अलैहिस्सलाम के 12 बच्चों में से युसूफ अलैहिस्सलाम ग्यारवें बच्चे थे वे अपने वालिद के महबूब औलाद थे और उनका एक छोटा भाई बेन्यामिन भी था।
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हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम इस्लाम के उन मुकर्रम और अहम पैग़म्बरों में से हैं जिनका ज़िक्र सिर्फ़ क़ुरआन-ए-मजीद में बड़े वाज़ेह और खूबसूरत अंदाज़ में किया गया है, बल्कि उनकी पूरी ज़िन्दगी इंसानियत के लिए एक सबक़ और रहनुमाई का ज़रिया भी है। उनकी कहानी को अल्लाह तआला ने "अहसनुल-क़सस" यानी सबसे बेहतरीन क़िस्सों में शुमार किया है, जिसे यहाँ सूरह युसूफ में तफ़सील से बयान किया गया है।
युसूफ अलैहिस्सलाम के वालिद का नाम हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम था, जो खुद भी अल्लाह के पैग़म्बर थे। हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम, हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम के बेटे और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पोते थे। इस तरह युसूफ अलैहिस्सलाम को एक पाकीज़ा और मुबारक नबी-ओ-रसूलों के ख़ानदान से ताल्लुक़ हासिल था।
युसूफ अलैहिस्सलाम बचपन ही से निहायत ही खूबसूरत, समझदार, और शफ्फ़ाफ दिल के मालिक थे। उनके किरदार, अदब और सलीक़े ने बचपन से ही उनके वालिद का दिल जीत लिया था। यही वजह थी कि याक़ूब अलैहिस्सलाम अपने तमाम बेटों में से युसूफ अलैहिस्सलाम से ज़्यादा मुहब्बत फरमाते थे। इस मुहब्बत की एक वजह उनका पाकीज़ा अख़्लाक़ और दिल को छू लेने वाली सादगी भी थी।
युसूफ अलैहिस्सलाम के एक सगे भाई थे— बिन्यामीन, जो उनसे उम्र में छोटे थे और दोनों की माँ एक ही थीं। बिन्यामीन और युसूफ अलैहिस्सलाम के दरमियान बहुत गहरा प्यार और लगाव था। दोनों भाई एक-दूसरे का सहारा थे। लेकिन अफ़सोस, अपने वालिद की इस खास मुहब्बत को देखकर बाकी भाईयों के दिलों में हसद और नफ़रत पैदा हो गई, जो आगे चलकर एक दर्दनाक और आज़माइश भरी कहानी का आग़ाज़ बनी।
भाइयों का युसूफ अ.स को धोखा देना | Brothers Betrayed Yusuf(A.S)
युसूफ अलैहिस्सलाम अपने वालिद के बहुत की महबूब बच्चे थे इसलिए उनसे बड़े भाई उनसे जलते थे, यही जलन था कि उन्होंने युसूफ (अ.स) को कुएं में फेंकने का इरादा किया ताकि वह वापस अपने बाप का प्यार वापस पा सकें।(सूरह युसूफ 08-09)
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एक दिन उनके भाइयों ने युसूफ (अ. स) को कुएं में फेंकने का इरादा किया, इसके लिए वह उन्हें बहाने से घर से दूर ले कर आ गए, और उन्हें कुँए में फ़ेंक दिया। युसूफ (अ. स) उस वक़्त बहुत छोटे थे, किसी का इतने कम उम्र में अपने ही भाइयों से धोखा खाना बहुत ही दुःख दायक है लेकिन उन्होंने ने अल्लाह पर तवक्कुल (भरोसा) किया। और फिर देखते ही देखते एक काफिले की नज़र उन पर पड़ती है और वह उन्हें निकाल कर मिस्र के बाजार में बेच देते हैं।(सूरह युसूफ 10-20)
युसूफ(अ.स) और ज़ुलेखा का वाक़्या | The Story Of Yusuf (as) And Zulekha
मिस्र में ही उनका पालन पोषण होता है, यहाँ तक की वो अपने जवानी तक पहुंच जाते हैं। तभी उनकी ज़िन्दगी में ज़ुलेखा का आगमन होता है, जहाँ पर वो रहते थे उसकी बीवी का नाम ज़ुलेखा था। चूँकि युसूफ बेहद खूबसूरत नौजवान थे इसलिए उनका दिल उन पर आ गया था। एक दिन उसने युसूफ को अकेला कर एक कमरे में बुलाया और गुनाह की दावत दी, क़ुरान ने इस वाक़ये को ऐसे बयान किया है कि "अगर उस वक़्त हम उनकी मदद न करते तो वो गुनाह कर बैठते" (सूरह युसुफ़, आयत 24)। इस तरह अल्लाह की मदद से वो इस गुनाह से बच पाएं।
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लेकिन ये तो बस शुरुआत थी, ज़ुलेखा का प्यार एक जुनून बन चुका था। उसने युसुफ़ को बार-बार अपनी तरफ़ खींचने की कोशिश की। एक वक़्त ऐसा भी आया कि उसने शहर की औरतों को युसुफ़ की ख़ूबसूरती पर हंसते हुए कहा, "ये तो वही हैं जिनकी वजह से तुम लोग मुझे बुरा-भला कहती थीं! हाँ, मैंने इन्हें बहलाने की कोशिश की थी, लेकिन ये पाकदामन रहे..."
यूसुफ को देख औरतों का हाथ काटने का वाक्या
क़ुरान बताता है कि जब औरतों ने युसुफ़ (अ.स) को देखा, तो उनकी ख़ूबसूरती के आगे अपने हाथ काट लिए (सूरह युसुफ़, आयत 31)! यानी युसुफ़ की नेकी और हुस्न का असर सिर्फ़ ज़ुलेखा पर ही नहीं, बल्कि पूरे शहर पर था।
मगर युसुफ़ (अ.स) ने हर मौक़े पर अल्लाह का डर दिल में रखा। जब ज़ुलेखा ने उन्हें धमकाया कि "अगर तुमने मेरी बात न मानी तो जेल में डाल दिए जाओगे!" तो युसुफ़ (अ.स) ने दुआ कि की: "मुझे क़ैद उससे अधिक प्रिय है, जिसकी ओर ये औरतें मुझे बुला रही हैं!"(सूरह युसूफ 32)
और फिर क्या हुआ? ज़ुलेखा के इल्ज़ामों में आकर युसुफ़ (अ.स) को जेल में डाल दिया गया। लेकिन ये भी अल्लाह की मर्ज़ी का हिस्सा था। क्योंकि इसी जेल से युसुफ़ (अ.स) यूसुफ अलैहिस्सलाम के साथ एक वाक्या हुआ जिसने उन्हें आगे जा कर एक बेहतरीन मर्तबा दिलाया।
युसुफ़ (अ.स) ने साबित किया कि अगर इंसान अल्लाह से डरते हुए "मैं अपने आप को बेक़सूर नहीं समझता नफ़्स ए अम्मारा इंसान को बेहयाई ही सिखाता है" (सूरह युसुफ़, आयत 53) का एहसास रखे, तो बड़े से बड़े फ़ितने से बचा जा सकता है।
ज़ुलेखा की मोहब्बत एक आग थी, लेकिन युसुफ़ (अ.स) ने उसे अल्लाह की मोहब्बत के आगे ठंडा कर दिया। यही वजह है कि आज भी उनकी कहानी इंसान को गुनाह से बचाने वाली मिसाल बनी हुई है।
युसुफ़ (अ.स) का सपनों की ताबीर और मिस्र की गद्दी पर बैठना | Yusuf(A.S) Becomes King
जेल की कोठरी में भी युसुफ़ (अ.स) ने अल्लाह का शुक्र अदा करना न छोड़ा। उन्होंने वहाँ भी लोगों को तौहीद (एकेश्वरवाद) की दावत दी और उनकी मुश्किलों का हल बने। एक दिन जेल में दो कैदियों ने अपने सपने युसुफ़ (अ.स) को सुनाए। एक ने देखा कि वह शराब निचोड़ रहा है, और दूसरे ने देखा कि उसके सिर पर रोटी का टोकरा है, जिसे चिड़ियाँ चुग रही हैं। युसुफ़ (अ.स) ने पहले कैदी को बताया कि वह जल्द आज़ाद होकर राजा को शराब पिलाएगा, और दूसरे को सूली पर चढ़ाया जायेगा(सूरह युसुफ़, आयत 36-41)। ठीक वैसा ही हुआ, लेकिन शैतान ने उसे अपने मालिक के पास उसकी चर्चा करने की बात भुला दी। अतः वह (यूसुफ़) कई सालों तक जेल ही मेंरहें।
राजा का सपना और युसुफ़ (अ.स) की क़ाबलियत
कई साल बाद मिस्र के राजा ने एक अजीब सपना देखा कि सात मोटी गायें हैं जिनको सात पतली गायें खा रही हैं, और सात हरी बालियां हैं और सात सुखी, उस सपने की हक़ीक़त जानने के लिए राजा ने ज्योतिषी को हुक्म दिया लेकिन सभी ज्योतिषियों ने हार मान ली, तब उस कैदी को युसुफ़ (अ.स) की याद आई। युसुफ़ (अ.स) ने सपने की ताबीर बताई: "सात साल खूब फसल होगी, उसके बाद सात साल भयंकर अकाल पड़ेगा। अकाल से बचने के लिए खूब अनाज संचय करो" (सूरह युसुफ़, 43-49)।
यह ताबीर सुनकर राजा हैरान रह गया, उसने तुरंत युसुफ़ (अ.स) को जेल से बुलवाया। लेकिन युसुफ़ (अ.स) ने कहा, कि "अपने राजा के पास वापस जाओ और कहो कि उन औरतों का क्या मामला है। राजा ने सब को बुलाया और सच और झूट सामने आ गया। (सूरह युसुफ़, आयत 50-51)। जब ज़ुलेखा और औरतों ने उनकी बेगुनाही कबूल की, तो राजा ने युसुफ़ (अ.स) को मिस्र का "ख़ज़ाने का मुख्य अधिकारी" नियुक्त किया। अब वही युसुफ़ (अ.स), जो कभी कुएँ और जेल की अंधेरी कोठरी में थे, मिस्र के ताज और तख़्त के मालिक बन गए!(सूरह युसूफ 54)
भाइयों का पश्चाताप और पारिवारिक मिलन
अकाल के दिनों में युसुफ़ (अ.स) के भाई अनाज लेने मिस्र आए। युसुफ़ (अ.स) ने उन्हें पहचान लिया, लेकिन ख़ुद को छिपाए रखा। उन्होंने बिन्यामिन (छोटे भाई) को रोक लिया और भाइयों को परीक्षा में डाला। जब भाइयों ने अपनी गलती का एहसास किया और रोते हुए कहा, "क्या वाक़ई में आप युसूफ ही युसूफ हो ? तो युसुफ़ (अ.स) ने अपना असली परिचय दिया।
युसूफ(अ.स) ने अपने पिता याक़ूब(अ.स) की आँख की रौशनी वापस लाने के लिए अपना कुर्ता उन्हें दिया और कहा कि इसे उनके चेहरे पर फेर देना उनकी बिनाई (आँख की रौशनी )वापस आ जायेगी। (सूरह युसुफ़, आयत 90-93)
हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की ज़िंदगी से जुड़े 10 अहम सवाल-जवाब(FAQs)
1. हज़रत यूसुफ़ (अ.स) कौन थे और उनका खानदानी सिलसिला क्या था?
उत्तर: हज़रत यूसुफ़ (अ.स) हज़रत याक़ूब (अ.स) के बेटे, हज़रत इस्हाक़ (अ.स) के पोते और हज़रत इब्राहीम (अ.स) के परपोते थे। वह एक पाक और मुबारक नबियों के खानदान से ताल्लुक रखते थे।
2. कुरआन में हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की कहानी को “अहसनुल-क़सस” क्यों कहा गया है?
उत्तर: क्योंकि उनकी पूरी ज़िन्दगी एक बेहतरीन सबक, सब्र और अल्लाह पर तवक्कुल का नमूना है, जिसे अल्लाह ने खूबसूरत अंदाज़ में सूरह यूसुफ़ में बयान किया है।
3. यूसुफ़ (अ.स) को उनके भाइयों ने क्यों धोखा दिया?
उत्तर: उनके भाई उन्हें अपने पिता का सबसे प्यारा बेटा समझते थे और इसी जलन में उन्होंने उन्हें कुएं में फेंकने का षड्यंत्र रचा।
4. हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की ज़िन्दगी में सबसे पहली बड़ी आज़माइश क्या थी?
उत्तर: उनके अपने ही भाइयों द्वारा उन्हें कुएं में फेंक दिया जाना, और उसके बाद अजनबियों द्वारा मिस्र ले जाकर बेच दिया जाना।
5. ज़ुलेखा और हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की कहानी हमें क्या सिखाती है?
उत्तर: यह कहानी सिखाती है कि इमानदारी, अल्लाह का डर और नेक नीयत से इंसान सबसे कठिन गुनाहों और फ़ितनों से भी बच सकता है।
6. हज़रत यूसुफ़ (अ.स) ने जेल में रहकर कौन सा बड़ा काम किया?
उत्तर: उन्होंने कैदियों के सपनों की सच्ची ताबीर की, जिससे उनकी काबिलियत का पता चला और यही आगे चलकर उन्हें मिस्र के खज़ाने का प्रमुख बनने का कारण बना।
7. मिस्र के राजा के सपने की ताबीर यूसुफ़ (अ.स) ने कैसे बताई और उसका क्या असर हुआ?
उत्तर: उन्होंने बताया कि सात साल खूब फसल होगी और फिर सात साल अकाल आएगा। इस ताबीर से प्रभावित होकर राजा ने उन्हें मिस्र का खज़ाना मंत्री बना दिया।
8. जब यूसुफ़ (अ.स) के भाइयों ने माफी मांगी, तो उनका क्या रवैया था?
उत्तर: उन्होंने अपने भाइयों को माफ कर दिया और अपने असली परिचय के बाद अपने पिता की आँखों की रोशनी लौटाने के लिए अपना कुर्ता भेजा।
9. हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की सबसे बड़ी खूबियाँ क्या थीं?
उत्तर: सब्र, तवक्कुल, खूबसूरती, पाकीज़ा अख़्लाक़, इंसाफ़, इमानदारी और अल्लाह का डर।
10. हज़रत यूसुफ़ (अ.स) की कहानी आज के दौर के इंसान को क्या सिखाती है?
उत्तर: यह कहानी सिखाती है कि अगर इंसान अल्लाह पर पूरा भरोसा रखे, पाक नियत रखे और हर हाल में सब्र करे, तो अल्लाह उसे अंधेरों से निकालकर ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है।
सारांश | Summary Of Story Of Yusuf(A.S)
युसुफ़ (अ.स) का सफ़र हमें सिखाता है कि अल्लाह की मर्ज़ी में हर मुसीबत एक हिकमत छुपाए होती है। कुएँ से लेकर तख़्त तक का सफ़र सिर्फ़ उनके सब्र और तवक्कुल का नतीजा ही नहीं, बल्कि अल्लाह की उस रहमत का नमूना है जो मुक्ति और इज़्ज़त का रास्ता खोल देती है।
आज भी युसुफ़ (अ.स) की कहानी हर उस इंसान के लिए रौशनी है जो गुमनामी के अंधेरों में भटक रहा हो। यह बताती है कि "जो अल्लाह पर भरोसा रखता है, उसके लिए दुनिया और आख़िरत दोनों में इज़्ज़त है" (सूरह तलाक़, आयत 2-3)। युसुफ़ (अ.स) ने साबित किया कि इंसान की नीयत पाक हो, तो अल्लाह उसे ऐसी बुलंदियों पर पहुँचाता है, जहाँ से वह पूरी कायनात को सच्चाई की राह दिखा सके!